अपामार्ग का पौधा
अपामार्ग का पौधा सम्पूर्ण भारत में पाया जाने वाला एक अत्यंत औषधीय गुणों से युक्त एक चमत्कारी पौधा है ,जो दो से तीन फुट की ऊंचाई का होता है। यह वर्षा ऋतु में पैदा होता है और शीट ऋतु में फलों एवं फूलों से लड़ जाते हैं और ग्रीष्म ऋतु में पक कर गिर जाते हैं। इस तरह अपामार्ग का जीवन चक्र चलता रहता है और अपने औषधीय गुणों से लोगों को लाभान्वित करता रहता है। वास्तव में अपामार्ग अत्यंत चमत्कारी गुणों के कारण लोगों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे कई नामों से जाना जाता है ; जैसे – -अपामार्ग,लटजीरा,चिरचिटा,वज्रदंती,चिड़चिड़ा,आंधीझाड़ा आदि। अपामार्ग का वानस्पतिक नाम ” अचिरान्थिस अस्पेरा ” है।
अपामार्ग के पौधे का औषधीय गुण एवं उपयोग
(1) अपामार्ग की जड़ का दातुन करने से दाँतों के समस्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है एवं दाँतों का हिलना,मसूड़ों की सूजन,आदि ठीक हो जाता है।
(2) भष्मक जैसे बीमारी में अपामार्ग के बीजों का पाउडर तीन से पांच ग्राम या बीजों की खीर बनाकर खाने से तुरंत आराम मिलता है।
(3) माइग्रेन में अपामार्ग के बीजों का पाउडर सूंघने मात्र से ठीक हो जाता है।
(4) जिस महिला को गर्भधारण की समस्या रहती है या गर्भधारण करने में परेशानी है उसे अपामार्ग की 10 ग्राम जड़ एवं पत्तियों को सुबह खाली पेट मासिक धर्म के बाद दूध में पकाकर सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है। यह अत्यंत निरापद माना गया है।
(5) गर्भाशय की समस्या ; जैसे सूजन आदि में अपामार्ग की पत्तियों को उबालकर सेवन करने से अत्यंत लाभ होता है।
(6) रक्त प्रदर,श्वेत प्रदर की समस्या,इंफेक्शन में अपामार्ग की पत्तियों को कूट कर रस निकाल कर सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
(7) सभी प्रकार के प्रमेह,प्रदर आदि में अपामार्ग की पत्तियों का रस या काढ़ा बनाकर पीने से साड़ी समस्या दूर हो जाती हैं।
(8) किडनी के परेशानी में अपामार्ग के पौधे का पंचांग का काढ़ा रामबाण का कार्य करता है।
(9) अस्थमा में अपामार्ग के पौधे को जड़ सहित जलाकर पानी में डालकर हिलाएं और नीचे तली में क्षार जमा हो जायेगा उसे उपयोग करें।
(10) अपामार्ग के क्षार को शहद में मिलाकर सेवन करने से खांसी तुरंत दूर हो जाता है।
(11) अपामार्ग के पंचांग को सुखाकर रख लें और उसे जलाकर रख को शहद के साथ दो – तीन ग्राम के मात्रा का सेवन करने से खांसी बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(12) अपामार्ग के फल का चूर्ण के सेवन से मस्तक के कीड़े मर जाते हैं।
(13) अपामार्ग की पत्तियों को गुड़ के साथ खाने से ज्वर शीघ्रता से दूर हो जाता हैं।
(14) अपामार्ग के बीजों की खीर बनाकर खाने से एक सप्ताह तक भूख नहीं लगती हैं इसका प्रयोग ऋषि महात्मा लोग अधिकतर करते हैं।
(15) अपामार्ग कफ -वात शमन करने वाली एक दिव्य औषधि के रूप में अत्यंत कारगर मणि जाती हैं।
(16) साइनस के कारण सूजन,हमेशा नाक बंद रहना,सिर में भारीपन आदि की समस्या के लिए अपामार्ग के बीजों का चूर्ण सुघने से ठीक हो जाता हैं।
(17) अपामार्ग के जड़ का रस निकालकर बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उसे आग में पका लें और एक शीशी में रख लें एवं जब भी कान में किसी भी प्रकार की समस्या हो तो इसकी दो तीन बूंदें कान में डालने से साड़ी समस्या दूर हो जाती हैं।
(18) खुनी बवासीर में अपामार्ग के बीजों के दो ग्राम चूर्ण को चावल के धोवन के साथ सुबह शाम करने से ठीक हो जाते हैं।
(19) भूख न लगना या हाइपर एसिडिटी में अपामार्ग के पञ्चकंग का काढ़ा पीने से अत्यंत लाभ होता हैं।
(20) अनियमित मासिक चक्र,अधिक रक्त स्राव,आदि से उत्पन्न परेशानी के कारण गर्भ धारण की समस्या में अपामार्ग के बीजों का चूर्ण गाय के दूध के साथ सेवन करने से अतयंत लाभप्रद सिद्ध होता हैं।
(21) अपामार्ग की जड़ को पीसकर योनि के आसपास रुई में मिलाकर या योनि में रखने से योनि शूल एवं मासिक धर्म की रूकावट आदि दूर हो जाती हैं।
(22) जोड़ों के सूजन में अपामार्ग की पत्तियों को पीसकर लेप करने से बहुत लाभ मिलता है।