अश्वगंधा का पौधा

                                                                                           अश्वगंधा का पौधा

अश्वगंधा या असगंध आयुर्वेद का एक चमत्कारिक पौधा है,जो टमाटर के जैसा होता है यूँ कहें कि यह टमाटर की प्रजाति (परिवार ) का हे पौधा है। इसकी ऊंचाई लगभग 165 -170 सेंटीमीटर तक होती है और इसमें पीले ,लाल आदि रंग के फूल एवं छोटे – छोटे फल भी लगते हैं। अश्वगंधा के पौधे बांग्लादेश,पकिस्तान, श्रीलंका एवं भारत के मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर खेती होती है। वैसे तो भारत के लगभग सभी प्रांतों में यह पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम विथानिया सोमनीफेरा है। अश्वगंधा आयुर्वेद का एक अत्यंत उपयोगी रसायन के रूप में प्रयुक्त होने वाला एक दिव्य,चमत्कारिक एवं भारतीय जिनसेंग के नाम से प्रख्यात औषधि है।अश्वगंधा की जड़ों एवं फलों का उपयोग बहुतायत रूप से होता है। इसका नाम इसके गंध अश्व के मूत्र की तरह होने के कारण ही अश्वगंधा पड़ा है। वास्तव में अश्वगंधा का उपयोग शारीरिक शक्ति,शरीर को निरोग रखने,शरीर के अंदर विष को नष्ट करने,यौन शक्ति को बनाये रखने आदि के लिए किया जाता है। राजस्थान में इसे असगंध या पाण्डल सिंह कहा जाता है। अश्वगंधा की जड़ों में एल्केलाइड की सांद्रता पाई जाती है,जो मानव शरीर का अत्यंत विशेष अंग दिमाग को अत्यंत शक्ति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसीलिये मेध्य रसायन माना गया है,जो याददास्त एवं एकाग्रता बढ़ने वाला दिव्य औषधि के रूप में आयुर्वेद में अपना एक अलग स्थान रखता है।
                                                                                     अश्वगंधा का औषधीय प्रयोग

(1) अश्वगंधा के पाउडर का दूध के साथ सेवन करने से यौन दुर्बलता बहुत शीघ्रता से दूर हो जाता है।
(2) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि हेतु अश्वगंधा का प्रयोग खासकर आजकल कोरोना काल में अत्यंत कारगर सिद्ध हो रहा है।
(3) अश्वगंधा के पत्तों को मसलकर गोली बनाकर गर्म जल के साथ सेवन खाली पेट करने से मोटापा बहुत जल्दी दूर हो जाता है।
(4) अश्वगंधा के पत्तो को उबालकर काढ़ा बनायें और उसमें थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से अर्थराइटिस,उससे होने वाला दर्द,सूजन के लिए रामबाण है।
(5) अश्वगंधा एवं अर्जुन छाल का काढ़ा बनाकर पीने से हृदयशूल एवं कमजोरी दूर हो जाता है।
(6) अश्वगंधा पाउडर गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से दिमाग को बहुत ताकत मिलती है एवं एकाग्रचित्तता आती है।
(7) अश्वगंधा की जड़ का काढ़ा पीने से पुराण से पुराण खांसी भी दूर हो जाती है।
(8) प्रदर,धातु रोग,धातुक्षीणता,प्रमेह के रोगियों के लिए अश्वगंधा एक वरदान के रूप में कार्य करता है।
(9) अश्वगंधा,शतावर,सोंठ एवं सुरंजन सबको मिलाकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से अर्थराइटिस,गठिया रोगों को बहुत जल्दी ठीक कर देता है।
(10) समान भाग हल्दी,मेथी,सोंठ,अश्वगंधा को लेकर चूर्ण बनाकर सेवन करने से अर्थराइटिस ,गठिया जड़ से दूर हो जाता है।
(11) कमजोरी,पसली चलना आदि के लिए अश्वगंधा पाउडर को शहद के साथ सेवन करना अत्यंत लाभदायक है।
(12) नपुंसकता,यौन दुर्बलता में अश्वगंधा पाउडर का प्रयोग गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से अत्यंत फायदा होता है।
(13) अश्वगंधा बच्चों के मोटापे को बहुत शीघ्रता से दूर करता है।
(14) बच्चों की लम्बाई बढ़ाने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग अत्यंत लाभकर सिद्ध होता है।
(15) कमर दर्द में अश्वगंधा का सेवन बहुत कारगर सिद्ध होता है।

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