एक मजेदार कहानी
एक बार शर्माजी ,एक मारवाड़ी बनिये के यहाँ विवाह में गए।
विवाह का पंडाल अत्यंत भव्य एवं सुन्दर था एवं उसमें अंदर
जाने के दो द्वार थे।
एक द्वार पर सगे- सम्बन्धी लिखा था और दूसरे पर मित्र लिखा था।
शर्माजी बड़े रौब से मित्र वाले द्वार से अंदर गए।
आगे फिर दो द्वार थे,
एक पर औरत और दूसरे पर पुरुष लिखा था।
शर्माजी पुरुष वाले द्वार से अंदर गए।
वहां भी दो द्वार थे ,एक पर गिफ्ट लाने वाला,
अन्य पर बिना गिफ्ट लाने वाला लिखा था।
शर्माजी को हर बार अपने मन के मुताबिक
द्वार से अंदर जाने में अत्यंत आनंद और मजा आ रहा था।
शर्माजी ने पहले कभी ऐसा प्रबंध नहीं देखा था।
शर्माजी बिना गिफ्ट वाले द्वार से अंदर चले गए।
जब अंदर गए तो अपने आपको गली ले बाहर पाया।
गली के बहार लिखा था लज्जा तो आ नहीं रही होगी ,
मारवाड़ी बनिये के विवाह में मुफ्त की रोटी तोड़ेगा ? ? ?
जा बाहर और हवा खा —!!