पलाश का वृक्ष
पलाश का वृक्ष आयुर्वेद में औषधीय गुणों के कारण अत्यंत उपयोगी वृक्ष माना गया है। खासकर सफ़ेद फूलों वाला पलाश में औषधीय गुण पाए जाते है। वैसे तो लाल फूलवाले पलाश का महत्त्व कम नहीं है। पीले रंग का भी पलाश अपने औषधीय गुणों से युक्त होता है। सफ़ेद फूलों वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम “व्यूटिया पार्वीफ्लोरा ” एवं लाल फूलों वाले पलाश का वैज्ञानिक नाम ” व्यूटिया मानोस्पर्मा ” है। पलाश के वृक्ष सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। पलाश को कई नामों से जाना जाता है जैसे – पलाश,छूल,परसा,ढ़ाक,टेसू,किंशुक आदि। आयुर्वेदिक दृष्टि से पलाश के वृक्ष की जड़,छाल,पत्ते,फूल एवं बीजों का प्रयोग किया जाता है।
पलाश के औषधीय गुण एवं उसके प्रयोग
(1) पलाश के फूलों के सेवन से दाह,वात,पित्त,कफ का नाश हो जाता है।
(2) पलाश के पंचांग का काढ़ा के सेवन से रुधिर विकार का नाश हो जाता है।
(3) पलाश के बीजों के सेवन से कफ एवं कृमि का बहुत जल्दी नाश हो जाता है।
(4) पलाश के काढ़ा के सेवन से कुष्ठ ,मूत्रकृच्छ का बहुत शीघ्रता से शमन हो जाता है।
(5) पलाश के पंचांग का काढ़ा बनाकर सेवन करने से उदर विकार,कृमि रोग,प्रमेह,बवासीर,आदि अत्यंत शीघ्रता से दूर हो जाता है।
(6) पलाश के गोंद के सेवन से मुख रोगों के लिए बहुत उपयोगी है।
(7) पलाश के फलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से अत्यंत चमक आ जाती है और दाग धब्बे दूर हो जाते हैं।
(8) पलाश के फूलों को सुखाकर सेवन करने से शरीर को बहुत पौष्टिक गुणों की प्राप्ति होती है।
(9) पलाश के बीज,और मिश्री मिलाकर सेवन करना कामशक्ति को अत्यंत प्रबल बना देने वाला एक बाजीकारक प्रयोग है।
(10) पलाश के बीजों का चूर्ण और मिश्री मिलाकर सेवन करने से सेक्स की समस्या,आँतों का इंफेक्शन,अल्सर,सूजन आदि बहुत जल्दी ठीक हो जाती है।
(11) पलाश के फूलों को सुखाकर सेवन करने से शरीर के टॉक्सिन बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं।
(12) पलाश के फूलों को जाली पर रखकर गरम कर शोथ या सूजन पर बांधने से अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है। अर्थराइटिस ,चोट आदि पर बांधने से एक ही दिन में अपना प्रभाव दिखाती है।