पालक का पौधा

पालक एक शाकीय पत्तीदार पौधा है,जिसे लोग सलाद,सब्जी आदि के रूप में अत्यंत पसंद के साथ उपयोग करते हैं। पालक अत्यंत पोषक तत्त्वों से युक्त आयुर्वेद जगत में महत्त्वपूर्ण है। इसमें विटामिन ए,सी,खनिज लवण,बी कॉम्पलेक्स,फोलिक एसिड,मैग्नेशियम,आयरन,ऑक्जैलिक अम्ल आदि प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। वास्तव में पालक सर्दियों के मौसम का अत्यंत स्वास्थ्यवर्द्धक सब्जियों में प्रमुख माना जाता है।पालक का वानस्पतिक नाम ” Spinacia oleracea ” है। पालक अमरन्थेसी परिवार का पौधा है,जिसका विशेष तौर पर पत्तियां एवं तने का उपयोग किया जाता है। पालक को कई नामों से जाना जाता है। संस्कृत में पालक्या,मधुरा,पलक्या,छुरिका,हिंदी में पालक,पला,उड़िया में मीठा पलंग,गुजराती में पालखनी भाजी,तमिल में वसैयीलैकीराई,तेलगू में दमपाबाछली,बंगाली में पालंग,नेपाली में पालुङ्गो,पंजाबी में पालक,अंग्रेजी में गार्डन स्पिनच आदि।

                                                  पालक के पौधे का आयुर्वेदिक गुण एवं उसके प्रयोग

(1) पीलिया में पालक के बीजों का पेस्ट बनाकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
(2) लिवर के सूजन में पालक का जूस को गुनगुना कर पीने से आश्चर्यजनक लाभ होता है।
(3) गुदा मार्ग के सूजन में पालक के पत्ते का साग खाना बहुत फायदा पहुंचाता है।
(4) गठिया के दर्द में पत्तों एवं बीजों को पीसकर जोड़ों एवं दर्द वाली जगहों पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
(5) उच्च रक्तचाप में पालक का जूस एवं नारियल जल को मिलाकर पीने से अत्यंत लाभ होता है।
(6) पालक के सेवन से सिरदर्द में भी बहुत फायदा करता है।
(7) दर्दी – जुकाम में पालक के सेवन से बहुत लाभ होता है।
(8) मोतियाबिंद में पालक का सेवन बहुत फायदेमंद सिद्ध होता है।
(9) पालक के पंचांग के रस को आँखों में लगाने से आँखों की सूजन बहुत जल्दी दूर हो जाती है।
(10) पालक की जड़,पीपल एवं अश्वगंधा को एक ग्राम की मात्रा लेकर नीम्बू के रस के साथ पीसकर सेवन करने से आँखों के रोग में बहुत लाभ होता है।
(11) आँतों के सूजन में पालक के रस का सेवन अत्यंत लाभप्रद होता है।
(11) डायबिटीज में भी पालक के रस का सेवन अत्यंत लाभप्रद होता है।
(13) फेफड़ों के सूजन में पालक के रस का सेवन बहुत लाभ करता है।
(14) मासिक धर्म सम्बन्धी दोषों में पालक का रस और सेब का रस मिलाकर सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
(15) धातु रोग ,प्रमेह,खून की कमी,हीमोग्लोबिन की कमी आदि में पालक का रस या सूप का सेवन अत्यंत लाभ प्रदान करता है।
(16) पालक का रस और पत्थरचट्टा का रस मिलाकर सेवन करने से लिवर की सूजन एवं आँतों के सूजन में बहुत लाभ करता है।
(17) गले के सूजन में पालक के रस के काढ़ा में नमक मिलाकर सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
(18) पेशाब के जलन में पालक के रस का सेवन अत्यंत लाभप्रद होता है।
(19) पालक का रस में थोड़ा सा पानी एवं तुलसी का रस मिलाकर शरबत बनाकर सेवन करना पेशाब की जलन में अत्यंत लाभ करता है।
(20) पालक के रस को चेहरे पर लगाना से चेहरे के दाग – धब्बे दूर हो जाते हैं।

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