पुरातन कायाकल्प योग
पुरातन कायाकल्प योग प्राचीन भारत की एक स्वीकृत विधि है ,जिसके द्वारा मानव हठयोग के द्वारा कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से अपने शरीर का कायाकल्प कर लेते थे। इस चिकित्सा के द्वारा शरीर के साथ – साथ तन एवं मन को भी अभूतपूर्व शक्तियों का केंद्र बना लेते थे। वास्तव में इस योग के माध्यम से मानव अपने स्नायु तंत्र को सशक्त बनाना,एवं राज चक्र को जागृत कर शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करना संभव कर लेते हैं। आयुर्वेदिक विधियों से भी शरीर का कायाकल्प संभव है ।वैसे तो चिकित्सा पद्धति में कई तरह के कल्पों का वर्णन मिलता है ,जो इस प्रकार हैं – दुग्ध कल्प,मठ्ठा कल्प,फल कल्प,अन्न कल्प,शक कल्प एवं औषधि कल्प। मैं यहाँ पर औषधि कल्प का थोड़ा सा विवरण प्रस्तुत किया है –
(1)त्रिफला को नियमित रूप से सेवन अधिक दिनों तक करने से शरीर का कायाकल्प हो जाता है ,क्योंकि त्रिफला वात,पित्त और कफ का शमन कर दीर्घ जीवन प्रदान करता है।
(2) तुलसी एक अद्भुत कायाकल्प प्रदायक योग है। यह शरीर के बाहरी एवं आंतरिक दोनों तरह से शरीर का शोधन कर शक्तिशाली बनाता है। गौरी तंत्र माहात्म्य में बताया गया है –
” तुलसी पत्र सहितं जलं पिबति यो नरः।
सर्व पापविनिर्मुक्तो मुक्तो भवति भामिनी।। “
व्याधि के निवारण के विषय में शास्त्रों में वर्णन है –
” त्रिकालं विनता पुत्र पाशर्य तुलसी यदि।
विशिष्यते कायशुद्धि श्चाछिद्रायाण शतं विना।। “
(3) आंवला ताजा या चूर्ण रूप दोनों ही प्रकार से प्रयोग करने से भी कायाकल्प होता है।
(4) ब्राह्मी स्वरस को गो दुग्ध ,ब्राह्मी पत्र का शाक या ब्राह्मी को घी में भूनकर भी सेवन से कायाकल्प हो जाता है।
(5) भृंगराज और काले तिल 250 – 250 ग्राम,आंवला 125 ग्राम लेकर अलग – अलग पीस कर छान कर 500 ग्राम पुराण गुड़ अथवा शक्कर मिलाकर प्रातः दो चम्मच यानि 12 ग्राम खाने से सभी तरह के रोग दूर हो जाते हैं।