बच का पौधा
बच एक अत्यंत उपयोगी औषधीय पौधा है,जो पूरे वर्ष पाया जाता है। इसकी शाखाएँ बहुत विस्तृत,लम्बी एवं मोटी होती है। इसके फूल बेलनाकार एवं लम्बे आकार में हलके हरे एवं भूरे रंगों वाला होता है। इसकी ऊंचाई 50 – 60 सेंटीमीटर तक होता है। इसकी पत्तियों से नीम्बू के जैसा गंध आता है। बाह का पौधा प्रारम्भ में भारत एवं मध्य एशिया में पाया जाता था ;किन्तु अब सम्पूर्ण विश्व में पाया जाता है। भारत में कश्मीर,उत्तर – पूर्व हिमालयी क्षेत्रों के अतिरिक्त कर्नाटक,मणिपुर एवं मध्य प्रदेश के कुछ जगहों जहाँ पानी का जमाव होता है यानि दलदली क्षेत्रों में पाया जाता है। बच का वानस्पतिक नाम ” एकोरस कैलमस ” है। वास्तव में अपने औषधीय गुणों के कारण इसका दोहन अत्यंत तेजी से होने के कारण लुप्त होने के कगार पर है। संस्कृत में वाचा,गोलोमी आदि नामों से भी जाना जाता है। बच में कई रासायनिक घातक जैसे – कैफीन,कैलामाइन,विटामिन सी,वसा अम्ल,कैल्सियम ऑक्सोलेट,एकोरिन,असारिल,एर्डीहाइड,स्टार्च एवं गोंद आदि पाए जाते हैं ,जो अफरा,सूजन,कफ,वात,उदर की गर्मी,शूल,वाक् शक्ति वर्द्धक, मस्तिष्क को अत्यंत ताकत प्रदान करने वाले आदि गुणों से युक्त है।
बच के औषधीय गुण एवं औषधीय उपयोग
(1) बच की जड़ को पानी में घिसकर माथे पर लेप करने से सिरदर्द बहुत जल्दी दूर हो जाता है।
(2) बच चूर्ण आधा चम्मच,घी में मिलाकर सुबह – शाम सेवन करने से स्मरण शक्ति अत्यंत प्रबल हो जाती है।
(3) बच चूर्ण को शहद के साथ सुबह – शाम चाटने से मिर्गी एवं उन्माद रोगों का नाश हो जाता है।
(4) बच का क्वाथ पीने सूखी खांसी दूर हो जाती है।
(5) बच चूर्ण को दूध में उबालकर सूखा लें और मिश्री मिलाकर दो ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति अत्यंत प्रबल हो जाती है।
(6) बच का पाउडर में पिप्पली चूर्ण मिलाकर नाक से सूंघने से सिरदर्द का नाश हो जाता है।
(7) सर्दी से बचने के लिए एवं शरीर की अंदर की ऊर्जा को बनाये रखने के लिए बच के टुकड़ों को मुंह में रखने से अत्यंत लाभ होता है।
(8) गले में खराश,खांसी,दमा,कफ,के शमन हेतु बच की जड़ एवं तुलसी के पत्ते का काढ़ा सेवन अत्यंत लाभप्रद होता है।
(9) पेट के कीड़े,गैस की समस्या के लिए दो – तीन ग्राम बच,आजवाइन मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
(10) बच एवं आजवाइन मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से बवासीर में बहुत फायदा होता है।
(11) आधा ग्राम बच एवं थोड़ा सा हींग मिलाकर गोलीनुमा बनाकर सेवन करने से पेट की गैस में तत्काल आराम मिलता है।
(12) बुखार एवं जुकाम में बच को पीसकर नाक के ऊपर लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
(13) तीव्र बुखार एवं जुकाम में बच और अदरक का काढ़ा बनाकर पीने से अत्यंत लाभ होता है।
(14) मंद बुद्धि, कमजोर याददाश्त में बच और मिश्री मिलाकर सुबह – शाम सेवन करना अत्यंत लाभकर होता है।
(15) मिर्गी में बच पाउडर आधा ग्राम सुबह – शाम दूध के साथ सेवन करना अत्यंत उपयोगी होता है।
(16) बच्चों को पेट में अफारा होने पर बच का पेस्ट बनाकर पेट पर लेप करने से तुरंत लाभ मिलता है।
(17) बच्चों को दस्त होने पर बच के राख की आधा ग्राम की मात्रा शहद के साथ चटाने से तुरंत लाभ होता है।
(18) दांत निकलने के समय होने वाली परेशानी से बचने के लिए बच पाउडर में तवे पर फुले हुए सुहागे को मिलाकर मसूड़े पर लगाना अत्यंत लाभप्रद होता है।
(19) बच को पीसकर गले में लेप लगाने एवं दो – तीन घंटे बाद धो देने से टॉन्सिल में बहुत आराम मिलता है।
(20) बच को पीसकर गले पर लेप करने से गलकण्ड,ग्वाइटर,बढ़ा हुआ थायरॉइड ग्लैंड में बहुत आराम मिलता है।
(21) प्रसव के समय बच को पीसकर नाभि के आसपास लगाने से प्रसव बहुत आराम से एवं बिना दिक्कत के हो जाता है।
(22) बच का चूर्ण एवं मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुदर्शन रस के साथ सेवन करने से बच्चों का तुतलाना,हकलाना आदि दूर हो जाता है।