बथुआ का पौधा

बथुआ हरा – भरा पौधे के रूप में पाए जाने वाला एक शाकीय रबी के फसलों के साथ उगने वाला पौधा है,जो डेढ़ फुट के आसपास ऊंचाई वाला सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए,आयरन,पोटाश,सुगन्धित तेल,अलवयुमिनायड आदि पाया जाता है। सर्दी के मौसम में लोग शक,परांठे एवं रायता आदि के रूप में प्रचुरता से प्रयोग में लाते हैं। बथुआ वास्तव में एक औषधीय गुणों से लबालव पौधा है जिसका आयुर्वेद में अत्यंत विशिष्ट स्थान प्राप्त है। बथुआ वात – पित्त – कफ नाशक यानि यूँ कहें त्रिदोषनाशक,भूख बढ़ाने वाला,मल – मूत्र को शुद्ध करने वाला,आँखों के लिए उपयोगी,बल – बुध्दि बढ़ाने वाला एक अद्भुत गुणकारी पौधा है। बथुआ का वैज्ञानिक नाम कीनो पोडियम एल्बम है। बथुआ को गुजराती में चील,मलयालम में वस्तुक्कीरा,पारसी में कताफ,कुलफ आदि नामों से जाना जाता है।
                                                                  बथुआ के औषधीय गुण एवं प्रयोग

(1) बथुआ के रस का सेवन करने से रक्त शुद्ध हो जाता है एवं फोड़ा – फुंसी ठीक हो जाता है।
(2) बथुआ के साग का सेवन खाली पेट करने से पथरी के बीमारी ठीक हो जाती है।
(3) किडनी स्टोन में बथुआ के रस की 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर सेवन अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।
(4) बथुआ के सेवन से मूत्र सम्बन्धी विकार,रक्त दोष आदि शीघ्रता से दूर हो जाता है।
(5) बथुआ को उबालकर सूजन पर पुल्टिस बांधने से बहुत लाभ होता है।
(6) बथुआ के सेवन से उदर सम्बन्धी दोष, जैसे – वायु विकार ,पेट में अफरा,भूख काम लगना आदि ठीक हो जाता है।
(7) बथुआ के सेवन से यूरिक एसिड,आर्थराइटिस, सूजन आदि दूर हो जाते है।
(8) बथुआ और गिलोय के रस की 25 – 30 मिलीलीटर की मात्रा के सेवन से जॉन्डिस या पीलिया बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(9) महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान एवं पूर्व होने वाले असहनीय दर्द एवं अनियमित मासिक धर्म की समस्या में बथुआ के 10 ग्राम बीजों को उबालकर काढ़ा बनाकर सुबह – शाम सेवन करने से अत्यंत लाभकारी है जिसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है।
(10) बथुआ के बीजों को कूटकर उसमें सोंठ मिलाकर पानी में उबालें और सुबह – शाम पीने से रुका हुआ मासिक धर्म नियमित हो जाता है और समय से आने लगता है।
(11) प्रसव के दौरान ज्यादा दर्द या पीड़ा होने पर 20 ग्राम बथुआ के बीज,अजवाइन और मेथी 3 – 4 ग्राम और उसमें थोड़ा सा गुड़ डालकर उबालकर सेवन करने से बहुत आराम मिलता है एवं प्रसव आराम से हो जाता है।
(12) बथुआ के बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से प्रसूत रोग की संभावना ,इन्फेक्शन, गर्भाशय दोष आदि की समस्या ठीक हो जाती है।
(13) एनीमिक की समस्या होने पर बथुआ के 250 ग्राम रस में पानी मिलाकर पीने से बहुत शीघ्रता से ठीक हो जाता है।
(14) बथुआ के बीजों का काढ़ा और उसमें शहद मिलाकर पीने से यौन दुर्बलता बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(15) बथुआ के रस का सेवन सुबह – शाम करने से मूत्र का कम आना ठीक हो जाता है।
(16) प्रदर रोग में बथुआ का रस ,पानी और मिश्री मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है।
(17) बथुआ के 10 ग्राम बीजों का काढ़ा बनाकर पीने से लिवर की गांठ,शरीर के हिस्से की गांठ घुलकर समाप्त हो जाती है।
(18) बथुआ के साग के सेवन से बवासीर की समस्या जल्दी ठीक हो जाती है।
(19) बथुआ का रस और नीम के पत्ते का रस पीने से रक्त शुद्ध हो जाता है।

(20) बथुआ के बीजों का चूर्ण सुबह – शाम सेवन करने से सभी तरह की यौन दुर्बलता दूर हो जाती है।

(21) बथुआ के पत्तो के रस में मिश्री मिलाकर पीने से अजीर्ण,लिवर की समस्या,पीलिया,मंदाग्नि आदि अत्यंत शीघ्रता से ठीक हो जाता है।
(22) टीबी से उत्पन्न होने वाली खांसी में बथुआ को बादाम के तेल में पकाकर सेवन करने से बहुत आराम मिलता है।
(23) बथुआ का सेवन शरीर की शिथिलता को दूर करने में अत्यंत कारगर है।
(24) बथुआ को उबालकर उसे छान लें और उस पानी में शक्कर मिलाकर पीने से तिल्ली की सूजन दूर हो जाती है।
(25) बथुआ के सेवन से अमाशय अत्यंत ताकतवर हो जाता है।
(26) बथुआ के साग के सेवन से गर्मी के कारण बढे हुए यकृत बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(27) लाल बथुआ का सेवन हृदय को अत्यंत शक्ति प्रदान करने वाला माना गया है।

 

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