बहुत बड़ा जुमलेबाज के धांसू जोक्स

इसे कहते हैं जुमलेश्वर बाबा जी का अर्थशास्त्र
दो भाईयों, छोटा भाई और मोटा भाई,ने साझे में
दही की हांडी खरीद कर मेले में दही बेचने का
धंधा करने की सोची ।
अब चूँकि साझे का काम था तो दोनों ने तय किया
कि उधार किसी को देंगे नहीं और काम बराबर-
बराबर करेंगे।

तो दोनों हंडिया उठा कर मेले की ओर चल पड़े।
पहले मोटा भाई ने हंडिया सिर पर रखी तो छोटा
भाई आवाज लगाने लगा।”दही”ले लो दही !ताजा,
शुद्ध दही।”
जब वो थका तो उसने कहा “भाई थोड़ा दही तो
पिला ” ! मोटा भाई बोला, “उधारी नहीं चलेगी “

छोटा भाई ने चवन्नी निकाल के दी,” ये तो मोटा
भाई पहल से ही तय था,उधारी नहीं करनी “

दही पीकर हंडिया छोटा भाई के सिर पर आ गई
और मोटा भाई आवाज लगाने लगा। जब मोटा भाई
का गला थक गया तो उसने चवन्नी नकद दे कर दही
खरीद कर पी लिया।
अब हंडिया फिर से मोटा भाई के सिर पर आ गई
और छोटा भाई आवाज लगाने लगा।
इस तरह करते-करते दोनों भाई शहर मेले तक
पहुँच गए।वहां जाकर देखा तो हंडिया खाली।

अब दोनों भाई सोचने लगे कि “भाई उधार तूने
लिया नहीं,उधार मैंने दिया नहीं।मेहनत भी
बराबर की ! तो फिर हंडिया खली कैसे भई।”
रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया का गवर्नर तक सोच
रहा है कि
भ्रष्टाचार हुआ नहीं,चोरी कहीं हुई नहीं,बेईमानी
किसी ने की नहीं,उधारी किसी ने की नहीं।
सब जगह से माल आया ही,बाहर कहीं गया नहीं।
तो हंडिया खाली कैसे भई !!
आज तक उसे समझ नहीं आया क्या मामला है——-।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *