भारत को बॉलीवुड की देन

                                                                        भारत को बॉलीवुड की देन

बॉलीवुड सिनेमा जगत एवं मनोरंजन के साधनों के लिए एक मशहूर प्लेटफॉर्म है। मनोरजन के साधनों का कैसा दुरुपयोग यहाँ के कुछ एक्टर करते हैं और अश्लीलता को फैलाते हैं इसे हम सभी दूरदर्शन के माध्यम से देखते हैं। वास्तव में बॉलीवुड मनोरंजन के नाम पर भारत की संस्कृति को धूमिल करने में लगे हुए हैं ये सर्वविदित है। अभी हाल की कुछ घटनाएं जन मानस पटल को इस कदर झकझोर कर रख दिया है ,जिसे सभी लोगों ने देखा है। आप समझ गए होंगे कि मैं सुशांत सिंह राजपूत की बात कर रहे हैं कि किस तरह एक उभरते अभिनेता को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। इस तरह कार्य करने के लिए बॉलीवुड में एक गिरोह सक्रिय है ,जो उभरते हुए सितारों को इस कदर हतोत्साहित कर देते हैं कि उसे निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता और नतीजा आपके सामने है। छोड़िये मैं उन बातों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि आखिर बॉलीवुड ने भारत को क्या दिया है ,जिसे हम इस तरह देख सकते हैं –
(1) बलात्कार ,गैंग रेप करने के तरीके।
(2) विवाह किये बिना लड़का – लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
(3) विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना।
(4) चोरी ,डकैती करने के तरीके।
(5) भारतीय संस्कारों का मजाक उड़ाना।
(6) लड़कियों को छोटे कपडे पहनने की सीख देना और इसे फैशन का नाम देना।
(7) शराब,सिगरेट,चरस,गांजा,ड्रग्स आदि कैसे पिया और लाया जाये।
(8) गुंडागर्दी के द्वारा हफ्ता वसूली करना।
(9) भगवान् का मजाक बनाना एवं अपमानित करना।
(10) पूजा – पाठ,भजन -कीर्तन,यज्ञ करना पाखण्ड है यह दिखाना।
(11) भारतीयों को अंग्रेज बनाना।
(12) भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
(13) माँ बाप को वृद्धाश्रम छोड़ कर आना।
(14) गे पालन को मजाक बनाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताना और पालन सिखाना।
(15) रोटी हरी सब्जी खाना गलत और रेस्टोरेंट में पिज्जा बर्गर कोल्ड ड्रिंक्स और नॉनवेज खाना श्रेष्ठ है।
(16) पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना,छोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है मगर बालों के अजीबो -गरीब स्टाइल ( गजनी ) रखना व क्रॉस पहनना उत्तम है उससे आप अधिक सभ्य लगते हैं।
(17) शुद्ध हिंदी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है और उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा – लिखा और अमीरी वाली बात इसे प्रश्रय देना।
(18) पुराणी फिल्म्स में कितने मधुर भजन हुआ करते थे ,अब उसकी जगह अल्ला / मौला / इलाही आदि जैसे गानों ने ली है,और हम हिन्दू समाज भी हिजड़ों के जैसे उन गानों को लाखों की लाइक्स पकड़ा देते हैं,गुनगुनाते हैं। इससे ज्यादा और क्या विडंबना हो सकती है ???
(19) सीरियल का नाम है पवित्र रिश्ता और भाभी के कमरे से देवर,चाची के कमरे से ताऊ,साली के कमरे से जीजा निकलता हुआ दिखाया जाता है।
                हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को एवं उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों को आदर्श मानती है। यदि बॉलीवुड देश की सभ्यता एवं संस्कृति को सही तरह दिखाएगी तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नहीं भटकेगी। आज पूरा समाज नशा के आगोश में जा चूका है जो फिल्मों के गलत असर के कारण हो रहा है। मैंने यह लेख उन हिन्दू छोकरों के लिए लिखा है जो फिल्म देखने के बाद गले में क्रॉस मुल्ले जैसी छोटी सी दाढ़ी रखकर खुद को आधुनिक दिखाते हैं। यह हिन्दू नौजवानों की रगों में धीमा जहर घोला जा रहा है।
                                                                                          फिल्म :- जेहाद
सलीम – जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मों को देखें,तो उसमें आपको अक्सर बहुत ही होशियारी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम /ईसाई /साईं बाबा को महँ दिखाया जाता मिलेगा। इनकी लगभग हर फिल्म में एक महँ मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का उपहास एवं संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते हैं।
                       फिल्म ” शोले ” में धर्मेंद्र भगवान् शिव की आड़ लेकर ” हेमा मालिनी ” को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है,जो यह साबित करता है कि – मंदिर में लोग लड़कियां छेड़ने जाते हैं। इसी फिल्म में ए के हंगल इतना पक्का नमाजी है कि – बेटे की लाश को छोड़कर यह कहकर नमाज पढ़ने चल देता है कि उसे और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए।
                        फिल्म ” शान ” में अमिताभ बच्चन और शशि कपूर साधु के वेश में जनता को ठगते हैं,लेकिन इसी फिल्म में ” अब्दुल ” जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए अपनी जान दे देता है।
           ” दीवार ” का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है ,लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार – बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है।
           ” जंजीर ” में भी अमिताभ बच्चन नास्तिक है और जाया भगवान् से नाराज होकर गाना जाती है लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है।
          फिल्म ” क्रांति ” में माता का भजन करने वाला राजा ( प्रदीप कुमार ) गद्दार है और करीम खान ( शत्रुघ्न सिन्हा ) एक महान देशभक्त ,जो देश के लिए अपनी जान दे देता है।
                अमर-अकबर-अन्थोनी में तीनों बच्चों का बाप किशन लाल एक खुनी स्मगलर है,लेकिन उनके बच्चों अकबर और अन्थोनी को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई महान इंसान हैं। साईं बाबा का महिमामंडन भी इसी फिल्म के बाद शुरू हुआ था।
फिल्म ” हाथ की सफाई ” में चोरी – ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी।
               कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा और इसके साथ – साथ आपको शेरखान पठान,DSP डिसूजा,अब्दुल,पादरी,माइकल,डेबिड आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेगा।
हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार जरा ध्यान से देखना केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि कादर खान,कैफ़ी आजमी,महेश भट्ट आदि की फिल्मों का भी यही हाल है।
               फिल्म इंडस्ट्री पर दाऊद जैसों का नियंत्रण रहा है। इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त,ठाकुर को जालिम,बनिए को सूदखोर,सरदार को मूर्ख कॉमेडियन आदि ही दिखाया जाता है।
                 ” फरहान अख्तर ” की फिल्म ” भाग मिल्खा भाग ” में ” हवन करेंगे ” का आखिर क्या मतलब था ?
PK में भगवान् का रोग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के रोग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनाएंगे ? क्या हम सब इन हरामजादों का बहिष्कार नहीं कर सकते।
                        मेरा मानना है कि -यह सब महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के तहत है, एक चाल है। दुःख तो इस बात का है कि हम ये पोस्ट पढ़कर करेंगे तो कुछ नहीं लेकिन शेयर करने का भी कष्ट नहीं उठाएंगे। अतः आप लोगों से अनुरोध है कि सोचिये,समझिये और शेयर कीजिये। धन्यवाद आशा है कि —————!!!!

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