मजेदार एवं शानदार कविता

  मजेदार एवं शानदार कविता

एक अकेला पार्थ खड़ा है,भारत वर्ष बचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं,केवल उसे हराने को।।

भ्रष्ट दुःशासन सूर्पनखा ने,माया जाल बिछाया है।
भ्रष्टाचारी जितने कुनबे,सबने हाथ मिलाया है।।

समर भयंकर होने वाला,आज दिखाई देता है।
राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों,ओर सुनाई देता है।।

फेंक रहे हैं सारे पांसे,जनता को भरमाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं,केवल उसे हराने को।।
चीन और नापाक चाहते,भारत में अंधकार बढ़े।                                                                                                                                                                    हो कमजोर वहां की सत्ता,अपना फिर अधिकार बढ़े।।

आतंकवादी संगठनों का,दुर्योधन को साथ मिला।
भारत के जितने बैरी हैं,सबका उसको हाथ मिला।।

सारे जयचंद ताक में बैठे,केवल उसे मिटाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं,केवल उसे हराने को।।

भोर का सूरज निकल चुका है,अन्धकार घबराया है।
कान्हा ने अपनी लीला में,सबको आज फंसाया है।।

कौरव की सेना हारेगी,जनता साथ निभाएगी।
अर्जुन की सेना बनकर के,नैया पार लगाएगी।।

ये महाभारत फिर होगा,हाहाकार मचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं,केवल उसे हराने को।।


             * हर हाल में खुश हूँ मैं *

            जिंदगी है छोटी,हर पल में खुश हूँ
            काम में खुश हूँ,आराम में खुश हूँ

              आज पनीर नहीं,दाल में खुश हूँ
              आज गाड़ी नहीं,पैदल ही खुश हूँ

आज कोई नाराज है,उसके इस अंदाज से ही खुश हूँ

जिस को देख नहीं सकता,उसकी आवाज से ही खुश हूँ
   जिसको पा नहीं सकता,उसको सोच कर ही खुश हूँ

बीता हुआ कल जा चुका है,उसकी मीठी याद में ही खुश हूँ
     आने वाले कल का पता नहीं,इन्तजार में ही खुश हूँ

        हँसता हुआ बीत रहा है पल,आज में ही खुश हूँ
                   जिंदगी है छोटी,हर पल में खुश हूँ

                    अगर दिल को छुआ,तो जवाब देना
                       वर्ना बिना जवाब के भी खुश हूँ।

 

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