लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है,पूरा परिवार देख
रहा होता है,पूरा समाज देख रहा होता है,सब
कुछ समझ भी रहा होता है।
सब वहां उपस्थित भी होते हैं लेकिन फिर भी कोई
सहायता के लिए आगे नहीं आता।
सब आपको संघर्ष करते हुए केवल देखते रहते हैं।
आपके समाज के बाहर का दोस्त भले ही आगे
आकर आपकी मदद कर दे लेकिन आपके अपने
यार-दोस्तों एवं समाज के कुछ लोग,पड़ोसी इत्यादि
मूकदर्शक बने रहते हैं। संघर्ष केवल और केवल,
आपको खुद को ही करना पड़ता है–और आगे
बढ़ना पड़ता है —-
अचानक दूसरे लोग साथ दे देते हैं ।