वर्तमान में जीना ही जिंदगी

                                                                                                  बोध कथा

एक बार एक धनी आदमी की रास्ते में कार ख़राब हो जाने पर वह अत्यंत व्यथित होकर दूर में एक पेड़ के नीचे खड़े रिक्शा वाले के पास जाता है।अमीर आदमी वहां जाकर देखता है कि रिक्शा वाले ने अपना पैर रिक्शा के हैंडल पर,पीठ अपनी सीट पर और सिर जहाँ सवारी बैठती है उस रखकर बहुत मजे से लेटकर गाना गुनगुना रहा है।इस स्थिति में वह अमीर आदमी रिक्शे वाले को देखकर हैरान हो जाता है और मन ही मन सोचता है कि एक आदमी ऐसे बेतरतीब तरीके से आराम की स्थिति में भी कैसे खुश होकर गाना गा सकता है ? कैसे गाना गुनगुना सकता है ? इसी उधेड़बुन में वह रिक्शे वाले को 25 रूपये में चलने को कहता है। रिक्शे वाला चलते हुए रास्ते में गाना गुनगुना रहा होता है और रिक्शा चलाता रहता है।वह अमीर आदमी रिक्शे वाले को 25 रूपये देता है।रिक्शे वाला उस पैसे को लेकर अत्यंत प्रसन्न होकर गुनगुनाता हुआ चला जाता है।वह अमीर आदमी फिर सोचता है कि यह रिक्शा वाला 25 रूपये लेकर इतना खुश कैसे हो सकता है —-? इतने मजे में कैसे गुनगुनाता सकता है —?

               अमीर आदमी को थोड़ी ईर्ष्या होने लगता है और रिक्शा वाले को समझने के लिए अपने बंगले पर बुलाता है और उसे रात में खाना खाने के लिए कहता है।रिक्शा वाला उसकी बात मान लेता है।अमीर आदमी अपने नौकर को रिक्शा वाले को बढ़िया खाने – पीने की सुविधा देने के लिए निर्देश देता है।नौकर के द्वारा रिक्शे वाले को विभिन्न प्रकार की लजीज एवं स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ खाना दिया जाता है।चाय,कॉफी,सूप्स,आइसस्क्रीम,रसगुल्ले,गुलाब जामुन,रस मलाई,खीर पूड़ी,मटर पनीर आदि स्वादिष्ट सब्जियों के साथ ।वो रिक्शा वाला खाना खाता हुआ बड़े मजे से गाना गुनगुनाता हुआ कहते रहता है।उसके मन में न तो कोई आश्चर्य के भाव हैं और न तो तो कोई विशेष प्रतिक्रिया एवं घबराहट ।सभी को ऐसा महसूस होता है और लगता है कि जैसे रिक्शा वाला ऐसा लजीज एवं स्वादिष्ट भोजन पहली बार नहीं खा रहा है।पहले भी वह ऐसा खाना खाता रहा है।
          वह अमीर आदमी फिर हैरान और परेशान हो गया और उसके मन में ईर्ष्या की वृद्धि हो जाती है।वह यह सोचकर और परेशान हो जाता है कि इतने लजीज एवं स्वादिष्ट व्यंजन पाकर भी उसे किसी तरह की हैरानी वाली प्रतिक्रिया क्यों नहीं हो रही है —? रिक्शे वाला वैसे ही गाना गुनगुना रहा है जैसे वह रिक्शे पर लेटकर गुनगुना रहा था।यह सब देख कर अमीर आदमी के मन में और अधिक ईर्ष्या की भावना बलबती हो जाती है ।
वह रिक्शे वाले को अपने बंगले में कुछ दिन और रुकने के लिए कहता है।रिक्शे वाला सहज भाव से अपनी स्वीकृति दे देता है।यह देखकर अमीर आदमी और ईर्ष्या से भर जाता है।अमीर आदमी अपने आदमी से कहता है रिक्शे वाले को कोई भी दिक्क्त न हो और उसे हर तरह की ऐशो आराम की सुविधाएँ दी जाये।कोई जूते पहनाता है,कोई कपड़े तो कोट । रिक्शे वाले को बहुत अधिक इज्जत दी जाती है।कोई एक आवाज पर नौकर – चाकर की फ़ौज खड़ी हो जाती है।होम थियेटर पर सिनेमा,बड़े टीवी स्क्रीन पर प्रोग्राम दिखाए जाते हैं और एयर कंडीशन कमरे में ठहराया जाता है।

             अमीर आदमी यह अनुभव करता है कि रिक्शा वाला कुछ प्रतिक्रिया नहीं देता है।अमीर आदमी की ईर्ष्या और अधिक बढ़ जाती है।वह मन ही मन सोचता है कि हद हो गई।रिक्शे वाले को कोई हैरानी हो ही नहीं रही है।जैसा यह पहले रिक्शे में था वैसा ही अब भी है और ख़ुशी पूर्वक वैसे ही गाना गुनगुना रहा है।इस पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा। अमीर आदमी का धैर्य जबाव दे देता है और वह रिक्शे वाले को बुलाकर पूछता है : आप खुश हैं ना ? रिक्शा वाला कहता है ; जी साहेब बिलकुल खुश हूँ।अमीर आदमी पूछता है : आप आराम में हैं ना ? रिक्शा वाला कहता है : जी साहेब बिलकुल आराम में हूँ ।
अमीर आदमी अंत में तय करता है कि इसको उसी रिक्शा पर वापस छोड़ दिया जाये।अमीर आदमी सोचता है वहां जाकर ही इसको इन ऐशो आराम की जिंदगी और स्वादिष्ट एवं लजीज भोजन की याद आएगी ।
              अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी को कहता है रिक्शे वाले को कह दो कि आपने दिखावे के लिए कह दिया कि —– आप खुश हो,आप आराम से हो । लेकिन साहब समझ गए हैं कि आप खुश नहीं हो,आराम से नहीं हो।इसलिए आपको उसी रिक्शे के पास छोड़ दिया जायेगा।”सेक्रेटरी के कहने पर रिक्शा वाला कहता है ; ठीक है सर,जैसे आप चाहे,जब आप चाहें,आपकी मर्जी ।रिक्शे वाला कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है,न ही उसके व्यवहार में परिवर्तन दिखाई देता है।
                    रिक्शे वाले को वहीं छोड़ दिया जाता है, जहाँ पर उसका रिक्शा था।अब वह अमीर आदमी अपनी गाड़ी के शीशे से देखता है कि रिक्शे वाले ने अपनी सीट उठाकर बैग से काला सा, गन्दा सा मैला कुचैला कपडा निकाला और रिक्शे को साफ कर मजे से बैठ गया और वही गाना गुनगुनाने लगा ।
                    एक कामयाब इंसान वर्तमान में जीता है,उसको मनोरंजन करता है और बढ़िया जिंदगी की उम्मीद में अपना वर्तमान ख़राब नहीं करता। अगर उससे भी बढ़िया जिंदगी मिल गई तो उसे भी स्वागत करता है,उसको भी मनोरंजन करता है उसे भी भोगता है और उस वर्तमान को ख़राब नहीं करता।साथ ही अगर जिंदगी में दुबारा कोई बुरा दिन देखना पड़े तो भी उस वर्तमान को उतने हे ख़ुशी से,उतने ही आनंद से,उतने ही मजे से,मनोरंजन से मजे करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *