वशिष्ठ नारायण सिंह महान गणितज्ञ की जीवनी :- आइंस्टीन की थ्योरी को चुनौती देने वाले प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के वसंतपुर नामक गांव में 2 अप्रैल 1942 ईस्वी को हुआ था।आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे वशिष्ठ नारायण सिंह विलक्षण प्रतिभा संपन्न थे। उन्होंने 1962 ईस्वी में नेतरहाट विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा सर्वाधिक अंकों से की थी। तदुपरांत साइंस कॉलेज पटना में अध्ययन करते समय कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर जॉन केली की दृष्टि उन पर पड़ी।उन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचानकर 1965 में उन्हें अपने साथ अमेरिका ले गए। 1969 में उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से गणित में पीएचडी की और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर बने। चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर उनके शोध कार्य भारत एवं विश्व में प्रसिद्ध कर दिया।इसी दौरान उन्होंने नासा में भी कार्य किया। 1971 में वे भारत लौट आए। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपूर,भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई और भारतीय सांख्यकीय संस्थान कोलकाता में कार्य किया।
1973 में उनका विवाह वंदना रानी से हुआ;किन्तु पारिवारिक जीवन उनका सुखमय नहीं रहा और जल्द ही उनका तलाक हो गया।1974 में उन्हें दिल का दौरा पड़ने पर रांची में चिकित्सा हुई।1987 में वशिष्ठ नारायण अपने गांव में ही मानसिक विक्षिप्त की तरह बिताया।यह एक कडुवा सच है कि इतने काबिल शख्सियत होने के बाद भी उन्होंने लम्बे समय तक बीमारी के कारण गुमनामी की जिंदगी बिताते हुए 14 नवम्बर 2019 को इस दुनियाँ से विदा हो गए।
मशहूर गणितज्ञ भले ही आज हमारे बीच से चले गए केकिन शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो इस बात को भूल पाए कि उन्होंने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्ष सिद्धांत को खुली चुनौती दे दी थी।