वास्तविक आनंद
बहुत दिनों से मन में आ रहा था कि Pleasure स्कूटर का उपयोग नहीं हो रहा है
और खड़ी रहने से ख़राब होने जैसी स्थिति में पहुँच चुकी थी।
मन में आया OLX पर बेच दूँ।
ऐड दे डाला कीमत 25000 / रुपये
बहुत से ऑफर आये 18000 से 22000 रूपये तक।
किन्तु मन में आया 22000 मिल रहे हैं तो,किसी न किसी ने 24 – 25 हजार भी दे ही देगा।
एक का 24000 रूपये का प्रस्ताव आया और मैंने उसे प्रतीक्षा में रखा।
सुबह एक दिन फोन आय और उसने कहा –
” भाई साहब ” नमस्कार !आपकी PLEASURE स्कूटर का ऐड देखा और बहुत पसंद भी है।
परन्तु 25000 हजार रूपये का जुगाड़ करने का अथक प्रयास किया,20000 हजार रूपये जमा
कर पाया हूँ। मेरा बेटा इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में है और बहुत मेहनत करता है। पढाई करने
कभी पैदल,कभी साईकिल,कभी बस और कभी किसी के साथ लिफ्ट लेकर। मन में विचार आया
अंतिम वर्ष में थोड़ा बेटे को जाने – आने में आसानी हो जाएगी। आप कृपया मुझे ही दीजियेगा।
नई गाड़ी लेने की मेरी हिम्मत नहीं है। थोड़ा वक्त दीजियेगा, पैसों का इंतजाम कर रहा हूँ।
कुछ सामान भी बेच कर व्यवस्था कर रहा हूँ। आपसे विनम्र प्रार्थना है हाथ जोड़ कर कि
साहब ये स्कूटर मुझे ही दीजियेगा।
मैं उन्हें कुछ बोल नहीं पाया,केवल ठीक है बोलकर फोन रख दिया। कुछ मन में विचार आया –
मैंने कॉल दुबारा किया और कहा – आप अपना मोबाइल नहीं बेचिएगा,कल मेरे केवल 20 हजार
रूपये लेकर आ जाइये,केवल 20 हजार।
मुझे 24 हजार रूपये का ऑफर आने के बाद भी किसी अनजान व्यक्ति को मैं
PLEASURE देने जा रहा था।
मन में सोचा उस परिवार में आज कितने PLEASURE यानि आनंद प्राप्त हुआ होगा।
कल उनके पास PLEASURE जाएगी।
मुझे ज्यादा हानि भी नहीं हो रहा था।
भगवान् ने बहुत दिया है और सबसे बड़ा धन ” संतोष ” दिया है
जो मेरे मन में आज अच्छी तरह घर कर गया है।
अगले दिन सुबह उसने कम से कम 5 -6 बार फोन किया ” साहब ”
कब और कितने बजे आऊं,आपका वक्त ख़राब तो नहीं होगा।
पक्का लेने आऊं,बेटे को लेकर आऊं या अकेले। पर साहब
PLEASURE मुझे ही दीजियेगा किसी और को —–।
वह 2000 ,500 ,200 ,100 ,50 के नोटों का बण्डल बड़े
करीने से संग्रह कर लेकर आये,साथ में बेटा था। ऐसा लगा,
पता नहीं कहाँ – कहाँ से पैसे निकाल कर या मांग कर या संग्रह कर लाया है।
बेटा एकदम आतुरता और अत्यंत कृतज्ञता से ” PLEASURE ” को देख रहा था।
मैंने उसे चाबियाँ दी,कागज भी दिए। बेटा गाड़ी बड़ी स्नेह एवं विनम्रता से हाथ फेर
रहा था,और रुमाल से साफ़ कर रहा था। उसने पैसे गिनने के लिए कहा,आप
गिनकर ही लाये हैं,कोई बात नहीं। जब जाने लगे,तो मैंने उन्हें 500 का एक
नोट वापस करते हुए बोले,घर लौटते हुए एक डिब्बा मिठाई लेकर जाना।
सोच तो यह भी थी कि सारे पैसे तो मुझे दे दिए शायद उनके पास पेट्रोल
के पैसे हैं या नहीं,और यदि है तो मिठाई एवं पेट्रोल दोनों खरीद पाएंगे।
आँखों में कृतज्ञता के भाव के साथ ही आंसू लिए हुए उसने हमसे विदा ली
और अपनी PLEASURE ले गए। घर जाते हुए अत्यंत उदारता एवं विनम्रता
के साथ झुककर अभिवादन किया। कई बार आभार व्यक्त किया।
लोग तो बड़ी सहज भाव से कहते हैं ” It’s my pleasure ” परन्तु आज
” Pleasure ” बेचते समय ही मुझे पता चला कि वास्तव में ” Pleasure “
क्या होता है।
एक बात और जीवन में व्यवहार करते समय लाभ – हानि,नफ़ा नुक़सान
नहीं देखना चाहिए। अपने अनुसार किसी को क्या सच में कुछ आनंद
मिला यह देखना भी होता है।
अंत में जो लोग भी इस कहानी को पढ़ें उनसे करबद्ध निवेदन है कि भगवान्
ने अपने आपको कुछ किसी को देने लायक बनाया हो या नहीं,
किसी एक व्यक्ति को ख़ुशी देने या सुख देने लायक तो बनाया ही है।
इस बात का गहराई से सोचें और अमल करें।