प्रेम का एक अद्भुत सौंदर्य
” प्रेमी बनना सब के बस की बात नहीं होती—–!!
प्रेमी बनने के लिए मन को एकाग्र करना पड़ता है —-!!
प्रेमी बनने के लिए संसार के मोह माया को त्याग कर
स्वयं के अहम से ऊपर उठकर किसी एक को पाने के लिए
स्वयं के अंदर खोना पड़ता है —-!!
जिससे एक मर्तबा प्रेम हो जाये फिर जीवन भर नहीं छूटता —-!!
हमारे अंदर प्रेम की मृत्यु हमारी आंशिक मृत्यु है —-!!
हर बार प्रेम के मरने पर हमारा भी एक हिस्सा हमेशा के लिए
मर जाता है —-!!
और अगर तुम प्रेम को स्पर्श कर सको तो सबसे कहना
तुमने ईश्वर को स्पर्श किया है —-!! “
वास्तव में प्रेम एक ऐसा अनमोल एवं अद्भुत अमृत कलश है
जिसके अमृत रूपी रस का पान करने वाला प्रेमी सांसारिक मोह
पाशों से मुक्त होकर अनुपम ,अद्भुत एवं अकल्पनीय आनंद की
अनुभूति पाकर ईश्वर के अत्यंत करीब पहुँच जाता है —–!! “