मक्का का पौधा
मक्का का पौधा भारत के लगभग मैदानी भागों से लेकर ऊंचाई वाले भागों में भी उगाई जाती है। मक्का सभी तरह की मिट्टियों में उगने वाला मोटे अनाज को श्रेणी का खरीफ फसल है ;किन्तु वर्तमान समय में मक्का की पैदावार में भारत प्रमुख उत्पादक देशों में गिना जाता है। मक्का का वानस्पतिक नाम Zea mays है। मक्का का महत्त्व व्यावसायिक दृष्टिकोण से अत्यंत लाभदायक माना जाता है। मक्का खाद्यान्न के साथ – साथ औषधीय दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी माना जाता है। मक्के की जड़,भुट्टे का डंठल,भुट्टे की बाल आदि का औषधीय प्रयोग अत्यंत कारगर माना जाता है ,निम्नलिखित है –
(1) खांसी में भुट्टे को जलाकर सेवन करने से बहुत लाभ मिलता है।
(2) भुट्टे की डंठल को राख कर शहद के साथ सेवन करने से हिचकी का नाश हो जाता है।
(3) मक्के की जड़ का चूर्ण मूत्र की जलन को ठीक करने में अत्यंत कारगर है।
(4) मक्के की बाल के सेवन से मासिक धर्म सम्बन्धी परेशानी को बड़ी शीघ्रता से ठीक कर देता है।
(5) मक्के के साथ गेहूं,सोयाबीन,चना और जौ का आटा मिलाकर रोटी बनाकर खाने से शारीरिक क्षीणता एवं प्रोटीन की कमी की बीमारी ठीक हो जाती है।
(6) मक्के का दलिया शरीर की कमजोरी को दूर करने में सहायक है।
(7) मक्के के डंठल को जलाकर सेवन करने से दस्त में अत्यंत लाभ पहुंचता है।
(8) मक्के का सेवन आहार के रूप में करने से हृदय की मांसपेशियों को ताकत ,गुर्दे को शक्ति प्रदान करने में अत्यंत उपयोगी है।
(9) मक्के का आहार शिशु को खिलाने से शिशु बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देता है।
(10) मक्के का आहार लेने से प्रोस्टेट के रोगी को मक्के की रोटी या दलिया खाना अत्यंत लाभदायक होता है।
(11) मक्के के डंठल को भूनकर और उसमें 10 ग्राम बेल का पाउडर मिलाकर सेवन करने से आमवात,अर्थराइटिस में अत्यंत लाभकारी है।
(12) मक्के की जड़ के सेवन से रुक – रुक कर आने वाला मूत्र खुलकर आने लगता है।