तेजपात का वृक्ष

                                                                                          तेजपात का वृक्ष

तेजपात एक बहु उपयोगी वृक्ष है,जिसका आयुएवेद में अपने औषधीय गुणों के कारण अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसे भारत में हिंदी में तेजपत्ता,तमालपत्र,तमिल में पुनाई इलाई,पल्लव आकुतेलगू कहा जाता है। इसे Bay लीफ के नाम से भी जाना जाता है। तेजपात का वैज्ञानिक नाम सिनामोमतमाला है। तेजपात भारत के हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड,जम्मू कश्मीर,सिक्किम,अरुणाचल प्रदेश ,फ़्रांस,उत्तरी अमेरिका,इटली,रूस,बेल्जियम में पाया जाने वाला पेड़ है। तेजपात में माइक्रीन होने के कारण परफ्यूम बनाने में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावे पत्ते में यूजेनॉल,लोरिक एसिड भी पाया जाता है। वास्तव में तेजपात का वृक्ष औषधीय गुणों की खान है जिसका दुनियां के सभी लोग इसका प्रयोग अत्यंत निर्भीकता के साथ सदियों से करते आ रहे हैं।
                                                                                           तेजपात का औषधीय प्रयोग

(1) सर्दी – जुकाम,खांसी में तेजपात के एक -दो पत्तों को कूटकर और उसमें तुलसी पत्ते के साथ उबालकर पीने से बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(2) तेजपात के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से भयानक सिरदर्द अत्यंत शीघ्रता से ठीक हो जाता है।
(3) तेजपात के पत्तों को पीसकर सिर पर लेप करने से सिरदर्द दूर हो जाता है।
(4) तेजपात के पत्तों को उबालकर सिर के बालों में लगाने से जुएं मर जाती है।
(5) तेजपात,मुलेठी,पीपल,सोंठ आदि को लेकर काढ़ा बनाकर पीने से दमा व श्वास रोग,बलगम,कफ आदि बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(6) तेजपात के पत्तियों के पाउडर को शहद के साथ सेवन करने से खांसी,दमा बहुत जल्दी ठीक हो जाता है।
(7) तेजपात के पाउडर को अदरक स्वरस के साथ सुबह शाम सेवन करने से अपच,अफारा,जी मिचलाना,मुंह में पानी आना,उबकाई आदि ठीक हो जाता है।
(8) तेजपात का काढ़ा बनाकर पीने से किडनी की पथरी,किडनी में बार – बार पथरी बनने की सम्भावना दूर हो जाती है।
(9) तेजपात के सेवन से हृदय की कमजोरी ,घबराहट ,एंजाइटी आदि ठीक हो जाती है।
(10) तेजपात 3 ,3 देशी गुलाब एवं लोंग का काढ़ा बनाकर सेवन करने से गठिया,रजोरोध एवं पेट दर्द के इलाज में यूजेनॉल के कारण जलन विरोधी एवं एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण बहुत आराम मिलता है।
(11) तेजपात के वृक्ष की छाल एवं पत्ता,अजवाइन,सोंठ आदि मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से गर्भाशय की समस्या में अत्यंत कारगर सिद्ध होता है।
(12) तेजपात का काढ़ा में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से एलर्जी,सर्दी,जुकाम,कफ,बलगम,बार – बार छींक आना आदि तुरंत आराम मिलता है।
(13) जोड़ों के दर्द एवं अर्थराइटिस में तेजपात और एरंड की पत्तियों को पीस कर लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
(14) तेजपात के सेवन से डायबिटीज के रोगी के शरीर में इन्सुलिन बनने की प्रक्रिया में तेजी लाता है।
(15) तेजपात के सेवन से उच्च रक्तचाप,शर्करा,माइग्रेन ,सिरदर्द,बैक्टीरियल एवं कवक संक्रमण ,गैस्ट्रिक अल्सर आदि में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।

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