अडूसा या वासा का पौधा
अडूसा या वासा झाड़ीनुमा अत्यंत औषधीय गुणों से युक्त एक अद्भुत पौधा है । अडूसा का पौधा 3 से 4 मीटर की ऊंचाई वाला होता है। अडूसा या वासा कई प्रकार के होते हैं जैसे – श्वेत,रक्त,कृष्ण,क्षुद्र वासा आदि। आयुर्वेद में इसे एक चमत्कारिक पौधे के रूप में माना गया है।अडूसा या वासा का वानस्पतिक नाम ” अधाटोडा वासिका ” है। अडूसा या वासा में वेसिनिना,वसा,राल,शर्करा,वाष्पित होने वाला तेल,एल्केलॉयड,एनाएसोलिन,वेसिसीनोल,पोटैशियम आदि पाए जाने के कारण ही आयुर्वेद में एक विशेष स्थान प्राप्त है। इसीलिये अडूसा या वासा के विषय में कहावत प्रचलित है – ” जब तक इस धरती पर है वासा,तब तक है जीने की आशा। “
अडूसा या वासा के औषधीय गुण एवं प्रयोग
(1) अडूसा के फूल को मिश्री के पाउडर को एक कांच की शीशी में रखकर धूप में रख देने पर बने गुलकंद के सेवन करने से कफ,बलगम आदि की समस्या बहुत जल्दी ठीक हो जाती है।
(2) अडूसा के फूल के साथ मिश्री मिलाकर सेवन करने से धातुक्षीणता,प्रमेह,स्वप्नदोष,वीर्य का शीघ्र स्खलन हो जाना जैसी बीमारियों से मुक्ति मिल जाती है।
(3) अडूसा के पंचांग ( जड़,तना,छाल,पत्तियां,फल- फूल ) के काढ़ा के सेवन से किडनी से सम्बंधित साड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
(4) अडूसा के पत्तियों का रस के साथ अदरक एवं शहद मिलाकर चटा देने से बच्चों की खांसी में तत्काल आराम मिलता है।
(5) अडूसा के जड़ के रस में दालचीनी,पीपली,लौंग,के दो – दो ग्राम चूर्ण एवं एक चौथाई केशर मिलाकर सेवन करने से गर्भावस्था की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
(6) अडूसा के ताजे फूलों के रस के सेवन से या पंचांग का काढ़ा बनाकर सुबह – शाम पीने से अस्थमा,श्वास की बीमारयों से मुक्ति बहुत जल्दी मिल जाती है।
(7) अडूसा के पंचांग का काढ़ा सुबह,दोपहर और शाम को पीने से रक्त शुद्धि एवं रोग प्रतिरोधक शक्ति अत्यंत प्रबल हो जाती है और ऑक्सीजन ग्रहण या अवशोषण करने की शक्ति का विकास होता है ,साथ ही लम्बा साँस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती है।
(8) अडूसा की पत्तियों का रस नाक में तीन – चार बून्द डालने से साइनस,कफ,बलगम आदि निकल जाता है।
(9) 5 ग्राम पीपल की छाल,नीम की छाल और वासा की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से कफ, बलगम,अस्थमा आदि में बहुत आराम मिलता है।
(10 अडूसा के 10 ग्राम पत्ते,खरबूजे के बीज 10 ग्राम चूर्ण के साथ सेवन करने से बार – बार पेशाब जाने की समस्या में बहुत आराम मिलता है।
(10) अडूसा के पत्ते के रस के साथ तिल के तेल को मिलाकर मांसपेशियों के दर्द में मालिश करने से तुरंत आराम मिलता है।
(11) अडूसा के पंचांग का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्यास की तृष्णा,सर्दी – जुकाम,वात,पित्त,कफ,का शमन हो जाता है।
(12) अडूसा के रस का सर पर लेप करने से सिरदर्द में बहुत आराम मिलता है।
(13) अडूसा,गिलोय,कुटकी,चिरायता,नीम की छाल,त्रिफला 20 – 20 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से पाण्डु,पीलिया,सन्निपात ज्वर मिर्गी रोग,टाइफस ज्वर ( यांत्रिक ज्वर ),एनीमिया आदि में अत्यंत लाभप्रद है।
(14) अडूसा,गिलोय,कुटकी, चिरायता,नीम की छाल,त्रिफला 20 – 20 ग्राम लेकर काढ़ा बनाकर पीने से कोरोना बीमारी के लिए अमृत तुल्य जीवन प्रदान करने वाला योग है।
(15) अडूसा के पत्ते के रस के सेवन से रक्त पित्त को कम करने वाला एक अचूक औषधि है।