हम बिहार से आते हैं,

हम बिहार से आते हैं

हम बिहार से आते हैं,
सिंगुलर नहीं प्लुरल में बतिआते हैं,
हम बिहार से आते हैं।
मेरा नाम फलाना है,ये नहीं कह पाते हैं,
हमारा नाम फलाना हुआ,ऐसे परिचय बताते हैं।
चाइनीज या कांटिनेंटल सब कहते हैं,
पर गुण हम लिट्टी चोखा का ही गाते हैं।
राजनीति पर हम बहुत बतिआते हैं,
हाँ लेकिन वोट हम जाति पर ही गिराते हैं।
अभाव में भी सुन्दर स्वभाव हम पाते है,
मेहनत से असंभव को संभव कर जाते हैं।
कहीं भी जाएँ हम,संस्कार साथ ले जाते हैं,
छठी मैया के लिए जान पर खेलकर हम गाँव वापस आते है।
बिहारी कह के कुछ लोग चिढ़ाते हैं,
हम आईएएस,आईपीएस बनकर,
उनको बिहार की हैसियत समझते हैं।
एक अदद नौकरी के लिए,
ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर लेते हैं ,
जितना कमाते हैं उसका आधा गाँव भेज देते हैं,
वर्तमान का पता नहीं, अतीत का गौरव शान से बताते हैं ,
चन्द्रगुप्त, चाणक्य,मगध,नालंदा ,
इतिहास की कहानियां पीढ़ियों को सुनाते हैं।
सबको आप कहकर बुलाते हैं,
रुखी – सूखी भी बाँटकर कहते हैं,
पीड़ा में भी मुस्कुराते हैं,
माँ सरस्वती के भक्त कहलाते है।
बड़ों के चरण जहाँ पूजे जाते हैं,
मेहनत पसीने की कमाई खाते हैं,
सबको प्रेम से अपनाते हैं,
जीवन में कितने भी बड़े बने,
आज भी बेझिझक जमीन पर सो जाते है।
” तुम ” नहीं ” आप “, ” मैं ” नहीं ” हम “,
इन दो शब्दों से पहचाने जाते हैं,
हम बिहार से आते हैं,हम बिहार से आते हैं।

 

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