माखनलाल चतुर्वेदी की जीवनी
माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य के इतिहास में राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के कर्मवीर एवं सेनानी के रूप में विख्यात हैं।इनका जन्म 4 अप्रैल 1889 ईस्वी को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गांव में हुआ था।इनके पिता नन्दलाल चतुर्वेदी एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे और माता सुंदरी बाई थीं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई,तदुपरांत घर पर ही संस्कृत,बंगला,अंग्रेजी,गुजराती आदि भाषाओं का अध्ययन किया एवं विद्वता प्राप्त की।जबलपुर से प्राइमरी शिक्षक ट्रेनिंग की।इनका विवाह ग्यारसी बाई से हुआ।
पुरस्कार एवं सम्मान :- 1943 ईस्वी में हिंदी साहित्य का सबसे ” देव पुरस्कार ” इनको ” हिमकिरीटिनी ” पर दिया गया था।1954 में साहित्य अकादमी पुरस्कारों की स्थापना होने पर हिंदी साहित्य के लिए प्रथम पुरस्कार दादा को ” हिम तरंगिनी ” के लिए प्रदान किया गया।” पुष्प की अभिलाषा ” और ” अमर राष्ट्र ” जैसी ओजस्वी रचनाओं के लिए सागर विश्वविद्यालय ने 1959 में डी लिट् की उपाधि प्रदान की।1963 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया।भोपाल का माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना इनके नाम पर स्थापित की गई।काव्य संग्रह ” हिम तरंगिनी ” के लिए 1955 में हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उपलब्धियां :- इन्होने अध्यापन कार्य 1906 में प्रारम्भ किया,शिक्षण पद का त्याग,1910 में तिलक का अनुसरण,1912 शक्ति पूजा लेख का राजद्रोह का आरोप,1913 प्रभा मासिक का संपादन,1920 कर्मवीर से सम्बद्ध, 1923 प्रताप का संपादन कार्य प्रारम्भ,1929 पत्रकार परिषद् के अध्यक्ष,मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मलेन ( रायपुर अधिवेशन )के सभापति,1942 भारत छोड़ो आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्त्ता रहे। 30 जनवरी 1968 को इन्होने अपने देह का त्याग कर दिया।ये ” भारतीय आत्मा ” के नाम से चिरस्मरणीय हैं।माखनलाल चतुर्वेदी एक लेखक,कवि एवं वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में हैं।एक स्वतंत्रता सेनानी के अलावा एक जागरूक एवं कर्त्तव्यनिष्ठ पत्रकार भी थे।
कृतियां :- हिमकिरीटिनी,हिम तरंगिनी,युगचरण,समर्पण,मरण ज्वार,माता,वेणु लो गूंजे धरा,बीजुरी काजल आँज रही आदि।
कृष्णार्जुन युद्ध,साहित्य के देवता,समय के पांव,अमीर इरादे गरीब इरादे गद्यात्मक कृतियां।
प्रमुख कवितायेँ :- मैं हूँ एक सिपाही,अमर राष्ट्र,पुष्प की अभिलाषा,प्यारे भारत देश,गंगा की विदाई,उठ महान,समय के समर्थ अश्व,जाड़े की साँझ,क्या आकाश उतर आया है,अंजलि के फूल गिरे जाते हैं,यौवन का पागलपन,जवानी,वरदान या अभिशाप,दीप से दीप जले,कैदी और कोकिला,उपालम्भ,मुझे रोने दो।