बोध कथा
एक हॉस्टल कैंटीन में रोज रोज नाश्ते में उपमा दे देने से 100 लोगों ने
हॉस्टल वार्डन से शिकायत की और बदल बदल के नाश्ता देने के लिए
निवेदन किया। 120 में से सिर्फ 20 लोग ऐसे थे जिनको उपमा बहुत
पसंद था और वो लोग चाहते थे कि उपमा तो रोज ही बने —–।
बांकी के 100 लोग बदलाव चाहते थे——।
वार्डन ने वोट करके दिनवार नाश्ता तय करने के लिए कहा —
उन 20 लोगों ने —-जिनको उपमा बहुत पसंद था उपमा के लिए
वोट किया। बांकी बचे 100 बचे लोगों ने आपस में कोई सामंजस्य
नहीं रखा और कोई वार्तालाप भी नहीं किया और अपनी बुद्धि और
विवेक से अपनी रूचि के अनुसार वोट किया।
18 ने डोसा चुना,16 ने परांठा,14 ने रोटी,18 ने ब्रेड बटर,15 ने पूरी सब्जी,
10 ने आमलेट,09 ने छोले भठूरे के वोट दिया —–
नतीजा क्या हुआ होगा अब सोचो —-
उस कैंटीन में आज भी वो 100 लोग रोज उपमा ही खाते हैं जिन्हे उपमा
पसंद नहीं था और बांकी 20 लोग अपनी पसंद की उपमा रोज खाते हैं।
जब तक सात हिस्सों में वे 100 लोग बंटे रहेंगे 20 लोगों का वर्चस्व रहेगा।