विज्ञान वरदान या अभिशाप

              देखिये आज हमें विज्ञान कहाँ से कहाँ ले आया —–!

       पहले पीते थे कुँए का
मैला कुचैला पानी और पीकर भी
100 से 110 साल जी लेते थे —-!
   और आज R O का शुद्ध
पानी पीकर 40 – 45 साल में बूढ़े हो रहे हैं !

पहले वो घाणी( कोल्हू ) का
मैला सा तेल के सेवन से भी
बुढ़ापे में भी परिश्रम कर लेते थे —-!
और अब दोबारा – तिबारा
छाना हुआ तेल के सेवन से भी
जवानी में ही हाँफने लग जाते हैं —-!

          पहले वो ढ़ेले वाला
नमक खाते थे और बीमार नहीं पड़ते थे —–!
              अब हम सब
आयोडीन से लबालब नमक खाकर
उच्च – निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं —–!

               पहले हम सब
नीम – बबूल,नमक और कोयला
      से दाँत चमका लेते थे —-!
और 90 साल तक भी चबा – चबा कर
             चबेना खा लेते थे
और अब कोलगेट,पेप्सोडेंट आदि के
         सेवन से भी रोज दिन
दन्त चिकित्सक के यहाँ चक्कर काटते हैं ——!

              पहले बीमार पड़ने पर
नाड़ी देख कर रोग का पता हो जाता था —–!
             और अब अनेक प्रकार के
जांचों से भी रोगों का पता नहीं चलता है ——!

     पहले वो 10 – 12 बच्चों को
जन्म देकर भी 75 वर्ष की उम्र में भी
खेतों पर काम कर लेती थी —–!
       और अब गर्भधारण से
डॉक्टर के देख – रेख में रहती है और
पेट फाड़कर बच्चे को जन्म देती है —–!

         पहले मैले एवं काले
     गुड़ की मिठाई खूब खाते थे —-!
अब नहीं खाने पर भी शुगर रोग से पीड़ित हैं —!

       पहले बुढ़ापे में भी
घुटनों में दर्द नहीं होते थे —-!
     और अब जवान भी
घुटनों एवं कंधे के दर्द से परेशान हैं —–!

        समझ में नहीं आता है कि
ये विज्ञान का युग है या अज्ञान का —–!

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