अशोक का पेड़

अशोक का पेड़ भारतीय परिवेश में एक अद्भुत सांस्कृतिक पेड़ के रूप में प्रसिद्ध है। यह जिस स्थान में होता है वहां का वातावरण आध्यात्मिकता लिए हुए शोक एवं अशांति से रहित होता है । साथ ही किसी भी मांगलिक कार्यों में अशोक पेड़ की डालियों एवं पत्तों से उस जगह को सजाया जाता है। अशोक का पेड़ आम के पेड़ की तरह ही छायादार एवं 25 से 30 फ़ीट ऊंचाई वाला होता है। आयुर्वेद में अशोक के पेड़ को औषधीय गुणों से युक्त माना गया है जिसका उपयोग बहुतायत रूप में होता है। महिलाओं के लिए अशोक की पत्तियां ,छाल आदि नव जीवन प्रदान करने वाली होती है। अशोक के पेड़ को कई नामों से जाना जाता है ,जैसे बंगला में अस्पाल,मराठी में अशोक गुजराती में आसोपालव। अशोक का लैटिन नाम जोनेशिया अशोका है और वैज्ञानिक नाम सरका असोच है। वास्तव में अशोक का पेड़ आयुर्वेद में अपना अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।अशोक की छाल कसैली एवं रूखी होती है किन्तु इसकी तासीर ठंडी होती है। इसकी छाल के अतिरिक्त पत्तों ,फूलों एवं बीजों का प्रयोग उपचार के लिए किया जाता है। इसके छाल में टैनिन,ग्लाइकोसाइड सेपोनिन,कैल्सियम एवं आयरन जैसे तत्त्व पाए जातें हैं।
                                            अशोक के पेड़ का औषधीय गुण एवं उसके प्रयोग

(1) अशोक की पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से स्त्री रोग ,रक्त विकार एवं मूत्र रोगों में अत्यंत कारगर है।
(2) अशोक पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से स्त्रियों को मासिक धर्म से पहले या बाद में होने वाले कमर दर्द,मासिक धर्म के समय रक्त का ज्यादा या कम स्राव होने की समस्या को बड़ी शीघ्रता से दूर करता है।
(3) टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए अशोक की छाल 400 ग्राम लेकर उबालें और 100 ग्राम शेष रहने पर उसे पीने से हदी बहुत शीघ्रता से जुड़ जाती है।
(4) अशोक की ताजी छाल की मात्रा 30 -40 ग्राम,सूखी 10 -15 ग्राम मुलेठी ,स्वर्ण गेरू थोड़ा सा लेकर 100 ग्राम जल में उबाल कर पीने से रक्त दोष ,रक्त संकोचक एवं रक्त अवरोधक गुणों के युक्त होने से रक्तस्राव,स्त्री रोग ,श्वेत एवं रक्त प्रदर रोगों में शीघ्रता से लाभ करता है।
(5) शरीर की उष्णता में अशोक की छाल ,पत्तियों एवं फूलों का काढ़ा पीने से अत्यंत लाभ होता है।
(6) स्त्रियों में हार्मोन्स चेंज होने से मासिक धर्म की शुरुआत या बंद होने से परेशानियां ,जैसे – शरीर में दर्द,स्वभाव में परिवर्तन ,चिड़चिड़ापन,जैसी परेशानियां में अशोक की छाल का काढ़ा पीने से तुरंत लाभ होता है।
(7) अशोक की छाल 50 ग्राम एक लीटर पानी में पकाएं और जब आधा बच जाय तो उसे आधा लीटर दूध में पकाएं और जब सिर्फ दूध बच जाये तो उसमें मिश्री मिलकर सुबह शाम सेवन करने से प्रमेह,धातु क्षीणता,कमजोरी अनियमित मासिक धर्म ,कमर दर्द ,मासिक धर्म के समय या बाद में होने वाली परेशानियां से छुटकारा शीघ्रता से मिल जाता है।
(8) अशोक की छाल ,पत्तियां ,फुष्प का काढ़ा पीने से सर्जरी के टांको को शीघ्रता से भरने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
(9) अशोक के पुष्प को सुखाकर रख लें और एक चुटकी पुष्प एवं तुलसी के कुछ पत्ती डालकर चाय बनाकर पीने से टॉनिक का कार्य करती है।
(10) अशोक की छाल का काढ़ा पीने से शरीर की सूजन ,चोट लगने की परेशानी एवं अधिक रक्त स्राव आदि में बहुत लाभप्रद है।

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