प्रसन्न रहने के मूल मन्त्र

    प्रसन्न रहने के मूल मन्त्र

ह्रदय मिले जिससे,सम्बन्ध रखो उसी से
जहाँ क़द्र ना हो —- वहां जाना नहीं
जो पचता नहीं —- उसे खाना नहीं,
जो सुनता नहीं —- उसे समझाना नहीं,
जो नजरों से गिर जाये —- उसे उठाना नहीं,
जो सत्य पर रूठे —- उसे मनाना नहीं,
जब जीवन में तकलीफें आएं —- तब घबराना नहीं,
जो मौसम की तरह जो दोस्त बदल ले —- उसे दोस्त बनाना नहीं
ऊपर लिखित बातों पर जो अमल करे वह हमेशा खुश रहेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *