संघर्ष का दौर

संघर्षों का दौर है,साथ निभाना,पास खड़े रहना,
संकट घनघोर है,साथ निभाना,पास खड़े रहना,

माना आकाश धुआँ- धुआँ है,
माना सांसें रुसवा – रुसवा है,
पर तुम रिश्तों की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

माना हर किसी पर मौत का साया है,
कुदरत ने कहर हर ओर बरपाया है,
पर तुम इंसानियत की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

यह वक्त है,वक्त गुजर ही जाता है,
अंधेरी रात के बाद सूरज उग ही आता है,
पर तुम उजालों का छोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

एक दिन जन्म,एक दिन मरण का होता है,
कहीं खिलती है हंसी,कहीं कोई आंसू बोता है,
पर तुम धैर्य की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

सूनी आँखों से कोई उदासी परोस रहा है,
देखो गजलों में कोई खामोशी परोस रहा है,
पर तुम सरगम की डोर थामे रहना,
साथ निभाना, पास खड़े रहना,

अकुलाहट,वेदना,रुदन हर ओर जारी है,
क्रंदन है मानव का,कहर ढाती महामारी है,
पर तुम हौसलों की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

अभिमान की अट्टालिकाएँ ढह गई सारी,
ईश तत्त्व का अणु मात्र,पड़ गया भारी,
पर तुम आराधना की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना,

संघर्षों से ही नए आयाम गधे जाएंगे,
संघर्षों से ही प्राण प्रतिष्ठित हो पाएंगे,
पर तुम प्राणों की डोर थामे रहना,
साथ निभाना,पास खड़े रहना।।

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