बबूल या कीकर का पेड़

                                                                                      बबूल या कीकर का पेड़

बबूल या कीकर का पेड़ भारत में ही नहीं अन्य देशों में भी प्राचीन काल से एक आयुर्वेदिक पेड़ के रूप में प्रसिद्ध है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस पेड़ की पूजा होती रही है ;क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस पेड़ पर भगवान् विष्णु निवास करते है। वास्तव में बबूल औषधीय गुणों से युक्त एक अद्भुत पेड़ है। अति सामान्य सा लगने वाला यह पेड़ आकार – प्रकार की दृष्टि से 15 -20 फ़ीट की ऊंचाई वाला पेड़ है ,जो काँटों से युक्त मरुभूमि में बहुतायत से पाया जाने वाला पेड़ है। वैसे तो बबूल का पेड़ सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। इसकी लकड़ियां बहुत मजबूत होती हैं और इसकी पत्तियां,फल छाल,पुष्प,जड़,एवं गोंद अत्यंत उपयोगी होने के साथ – साथ औषधीय गुणों से भरपूर होता है।
                     सामान्य रूप में लोग इसे कीकर के नाम से जानते हैं ;किन्तु वैज्ञानिक नाम वचेलिया नीलोटिका या एकेशिया नीलोटिका है। हिंदी,संस्कृत,उर्दू,पहाड़ी बंगाली,पंजाबी,मराठी,नेपाली,में इसे बबूल ही कहा जाता है। अंग्रेजी में ब्लैक बबूल के नाम से जाना जाता है।
                                                            बबूल का औषधीय प्रयोग

(1) बबूल के पंचांग का काढ़ा पीने से खांसी,वात,कफ,पित्त को बहुत शीघ्रता से दूर करता है।
(2) बबूल की फली रूखी मल को रोकने में अत्यंत कारगर होता है।
(3) बबूल की छाल का काढ़ा पीने से दाद ,खाज एवं खुजली दूर हो जाती है।
(4) बबूल की कच्ची फलियों का चूर्ण बनाकर सुबह -शाम सेवन करने से प्रमेह ,धातु रोगों ,स्वप्न दोष आदि का जड़ से समूल नाश कर देता है।
(5) बबूल की कच्ची फलियों का चूर्ण का सेवन करने से मासिक धर्म के पहले या बाद में जो पीड़ा होती है उससे शत प्रतिशत लाभ होता है।
(6) मुंह के छाले,मसूड़ों के रोग,दाँतों के रोग में बबूल की पत्तियां एवं छाल का उपयोग अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।
(7) बबूल के पंचांग के सेवन से यौन रोग ,प्रसूति के पहले और बाद की समस्याओं के लिए रामबाण का काम करती हैं।
(8)हड्डी से सम्बंधित रोगों के लिए बबूल की पत्तियों ,फलों एवं गोंद का उपयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
(9) बबूल की छाल ,पत्तियां एवं फलों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से आँखों ,गले के रोगों में बहुत फायदा पहुंचाता है।
(10) बबूल के पंचांग का काढ़ा बनाकर सेवन करने से बवासीर की परेशानियों से निजात मिल जाती है।
(11) बबूल की फलियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें और उसमें मिश्री मिलाकर सेवन करने से वीर्य सम्बन्धी रोग ऐसे दूर हो जाता है जैसे सूर्य के उगने से अँधेरा।
(12) बबूल की पत्तियों को पीस कर बालों पर लेप लगाने से बालों का टूटना एवं झड़ना दूर हो जाता है।
(13) बबूल और आम के पेड़ की छाल को पानी में उबालें और उससे एक्जीमा के घावों को धोने से ठीक हो जाता है।
(14) जिन महिलाओं को योनि से सफ़ेद पानी आता है यानि प्रदर रोग की शिकायत है उसे बबूल की छाल को पानी में उबालकर योनि की सफाई करने से प्रदर से मुक्ति मिल जाती है।
(15) बबूल की छाल का काढ़ा पीने से प्रदर की बीमारी दूर हो जाती है।
(16) बबूल की छाल को पानी में उबालकर गरारे करने से कंठ,गले की सूजन ,पायरिया रोग में बहुत फायदा मिलता है।
(17) पीलिया रोग में बबूल की फूलों को मिश्री के साथ पीसकर चूर्ण बनाकर नियमित सेवन से अत्यंत लाभ मिलता है।
(18) आंवला,मुलेठी,कीकर की छाल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से कब्ज,संतानहीनता,अनियमित मासिक धर्म एवं उनसे होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।
(19) कीकर की गोंद एवं बला के बीज का लड्डू बनाकर सेवन करने से शारीरिक शक्ति की क्षीणता ,मर्दाना ताकत की कमी,प्रमेह,शुक्रहीनता,आदि को अत्यंत शीघ्रता से दूर कर देता है।
(20) कुटज,सूखा आंवला,मुलेठी एवं कीकर की छाल का काढ़ा पीने से पेचिश ,बार – बार शौच जाना,आंव की शिकायत,संग्रहणी,भूख काम लगना,इनडाइजेशन ,लिवर का अल्सर,आँतों में घाव,बिलरुबिन का बढ़ जाना आदि दूर करने में अत्यंत रामबाण है।

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