नागफनी का पौधा
नागफनी एक कांटेदार पौधा होता है ,जिसका तना पत्ती की तरह गूदेदार एवं कम पानी वाले क्षेत्र में या यूँ कहें मरुभूमि में उगने वाला पौधा है। इसे कई नामों से जाना जाता है। इसे अंग्रेजी में हॉ थोर्न,क्विक थोर्न,थोर्न एप्पल,व्हाइट थोर्न,मय ट्री,हॉ बेरी आदि कई नामों से सम्बोधित करते हैं। इसे वज्रकंटका के नाम से भी पुकारा जाता है। नागफनी का वैज्ञानिक नाम क्रेक्टस है जिसकी पैदावार सबसे ज्यादा मैक्सिको में होती है। किन्तु अब भारत में भी नागफनी की पैदावार होती है। इसका स्वाद कड़ुवा और उष्म स्वभाव गुण वाला होता है। वैसे तो कांटेदार पौधे को अशुभ पौधों की श्रेणी में रखा गया है ;किन्तु औषधीय गुणों की खान यह पौधा वास्तव में हमारे बहुत सी बीमारियों को दूर करने में अत्यंत कारगर है। नागफनी एक अत्यंत फाइबर वाला एक अनोखा पौधा है ,जिसमें आयरन,विटामिन ए, विटामिन बी 6 ,विटामिन सी,मैगनीज, पोटैशियम,मैग्नीशियम,कैल्सियम आदि बहुतायत में पाया जाता है।वास्तव में नागफनी एक चमत्कारिक औषधीय पौधा है ,जिसके औषधीय गुणों का निम्नलिखित बीमारियों में उपयोग किया जा सकता है –
(1) नागफनी के गूदे को हल्का सा गरम कर शरीर के सूजन,जोड़ों के दर्द वाले हिस्से पर पट्टी बांधने से बहुत जल्दी आराम मिल जाता है।
(2) नागफनी के गूदे का रस निकलकर प्रतिदिन सेवन करने से अल्सर एवं कैंसर जैसी भयानक रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है।
(3) नागफनी का रस एक लीटर निकलकर उसे सरसों के तेल में डालकर धीमी आंच पर तीन चार घंटे पकाएं और फिर ठंडा कर किसी कांच के बोतल में रख लें और फिर दाद,खाज,खुजली,एक्जीमा,सोराइसिस एवं अन्य किसी भी प्रकार के चर्म रोगों को दूर करने में अत्यंत अचूक है।
(4) हाइड्रोसील की बीमारी में नागफनी के गूदे को हल्का गर्म कर हाइड्रोसील की जगह रखकर लंगोट बांध लें। ऐसा करने से हाइड्रोसील की परेशानी दूर हो जाती है।
(5) कान के दर्द एवं किसी प्रकार के घाव होने पर निकलने वाले मवाद में नागफनी का रस निकालकर दो – दो बून्द डालने से बहुत शीघ्रता से दूर करने में अत्यंत कारगर है।
(6) नागफनी के फलों को सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से खांसी,अस्थमा की समस्या से बहुत जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
(7) नागफनी का 4 – 5 मिलीग्राम रस ,10 ग्राम गोमूत्र एवं थोड़ा सी काली मिर्च चूर्ण सबको मिलाकर सेवन करने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
(8) नागफनी का रस,अदरक का रस एवं शहद सामान भाग मिलाकर सेवन करने से अस्थमा बहुत जल्दी दूर हो जाता है।
(9) नागफनी के रस का सेवन करने से spleen एवं लिवर के बढ़ जाने से उत्पन्न समस्या दूर हो जाती है।
(10) नागफनी की जड़ 3 ग्राम ,1 ग्राम सोंठ,1 ग्राम मेथी,1 ग्राम अजवाइन सबको मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में सूजन ,अर्थराइटिस,यूरिक एसिड जड़ मूल से समाप्त हो जाता है।